वो चार ईटें,,
वो चार ईटें,,,
माथे पर पसीना ,
चेहरे पर सिकन सी थी,
मैंने उसे तब देखा , जब
वो सिर पर चार ईटें लिए हुई थी।
मैंने उसे ठहर कर नहीं देखा ,
मैंने उसे रूककर नहीं समझा ,
एक लम्हा मिला तो देखा ,
वो सिर पर चार ईटें लिए हुई थी।
रही होगी कुछ मेरी ही उम्र की ,
इच्छाएँ भी होंगी कुछ मेरी ही तरह की ,
उसकी अनकही इच्छाएँ मुझे भाव दे गयीं ,
तभी तो लिख रहा हु उस पर ,
जो सिर पर चार ईटें लिए हुई थी।
हसरतें पूरी करने कि जगह ,
वो काम कर रही थी ,
दो वक़्त सुकून से गुजरे , इसीलिये काम कर रही थी ,
ज़िल्लत कि रोजी से ,
मेहनत ही अच्छी ,
शायद तभी , वो
सिर पर चार ईटें लिए हुई थी।
bahut khub
ReplyDeleteThanx gaurav,, :) kaise ho bhai?
ReplyDeleteKya baat, Kya baat👌👌
ReplyDeleteHaha,shukriya yr 🙂 bas aise hi padhte raho 😂,,
Delete