यूँ ही रास्ते साथी हो जाते हैं,

यूँ ही रास्ते साथी हो जाते हैं,
आपके खुद की कहानी हो जाते है,
जब दूर तलक बस पसरा सन्नाटा हो,
 आस पास सब बिखरा पड़ा हो,
क्यों क्या और कैसे समझ से परे हो,
तब यूँ ही रास्ते साथी हो जाते हैं ।

 जब निकट तुम्हारे सिर्फ तुम हो,
माहौल की बदलियां धुंध हो,
पैरों में ज़रा थकान सी हो,
पर  मीलों अभी चलना हो,
तब यूँ ही रास्ते साथी हो जाते हैं ।

जब तुम कभी निराश हो,
मन जरा उदास हो,
चलते रहने की चाह में
हृदय में भरा विश्वास हो
तब यूँ रास्ते साथी हो जाते हैं।
तब यूँ रास्ते साथी हो जाते हैं ।।
 
                             ----आलोक
poem रास्ते -साथी- हो -जाते- हैं
रास्ते -साथी- हो -जाते- हैं 


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