आहट_tomorrow's Impression

I wrote these lines in the morning on someday. Actually a demise happened in the adjacent house. And an old age couple was watching this incident and of course I was watching them. They were holding each others hand and stood on guardrails silently. So, that whole scenario intrigued me to write the impressions of that couple. So here it is,,,




उस जनाज़े को देख , मन थोड़ा डोला
कफ़न में लिपटी उस काया को देख,
न जाने से भीतर से कौन बोला
मेरी "वनिता" ने मेरा हाथ थामा
और मेरे अधरों ने चुपचाप रहकर
उसकी चिंता को भाँपा।

खैर सवाल एक से कुछ मेरे अंदर भी थे
मंजर भविष्य का जो उसने देखा ,
वही मेरे अंदर भी थे
बस हाथ में हाथ धरे मैं ,
सामने का मंज़र देख रहा था
और बिन कहे कुछ,
उसका और अपना ढाढ़स बांध रहा था ।

वो सामने का मंजर हमको डरा सा रहा था
रह रह कर बस एक ही सवाल आ रहा था
आखिर ज़िन्दगी की दहलीज पर तो हम भी खड़े थे
न जाने कब ये जादू खत्म हो,
और फिर हम भी इसी "दृश्य" में नज़र आये ।

उस ऊँचे करूण क्रंदन को सुन
मन मे सच का आभास तो हुआ
पर उसे देखने का साहस न हुआ
छत की मुंडेर पर देखा तो
वो झाँक रही थी नीचे,
फिर जब वो पलटी तो,
आँखों में एक अनजान सा डर दिखा
और उसके काँपते हाथ को पकड़ने को,
मैं सहसा तेज़ी से आगे बढ़ा
थाम कर उसका हाथ ,
उसकी आँखों के तमाम अनकहे सवालों
को अपनी आँखों की हामी से शांत किया।

                            .....आलोक 

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