Posts

Showing posts from May, 2019

रोटी,,

Image
रोटी भी कैसे कैसे  रंग दिखाती है, कभी नौकर तो कभी मालिक बनाती है दो वक़्त रोटी के लिए , इन्सान क्या नहीं करता , कभी तोड़ता कमर मजूरी में, कभी फोड़ता सिर मज़बूरी में | कभी ठेला लगा कर, गली-गली चिल्लाता तो कभी मौत का खेल,दिखा कर रोजी कमाता कभी बनकर फेरी वाला,तपती धूप में चक्कर लगता तो कभी बनकर जोकर लोंगो को हंसाता | रोटी  कभी बर्फ का गोला बनाकर ,बच्चों को हर्षाता तो कभी भट्ठी के सामने बैठकर , हथौड़ा चलता कभी सिर पर बोझा रखे मीलों चलता तो कभी भाड़ में चने की तरह भुनता | रोता है देख हालत अपने कुनबे की, रोटी के लिए,,, इसीलिये करता है ऐसे कम, जो निंदनीय है हम आप के लिए | किसी इन्सान की तकदीर मजदूरी नहीं होती ये तो दर्द है रोटी का जो बनावटी नहीं होती पता नहीं क्यों दर्द सा होता है इनको देख कर शायद,,, रहा हो वास्ता मेरा इनसे ,मेरे किसी जन्म पर |                                          .....आलोक          ...

तू जो नहीं_beyond reach

Image
In 2012 , when I was in my graduation a novel was quite in the news around the inmates of my hostel. Usually I was not the kind of novel reader and I had read a few novels till now. And that was one of them. So I borrowed that novel from my friend and started reading it. It was a love story. And It was nurtured with love, emotions, feelings and tragedy too. Well,,I am not going to be a spoiler for those who haven't read this novel yet. So I read that novel and after getting the gist of that novel or feelings I created my own version of that story in the poetic way. Hope you all gonna love this. And for those who are willing to read that novel, here is the name "I too Had a Love story" by Ravinder Singh. तू नहीं मेरी जिन्दगी में , तेरी याद ही सही , साथ नहीं तू मेरे , मेरी तनहाई ही सही, है तू दूर फलक पर कहीं मुझसे,, तुझे पाने की मेरी ये बेबस फरियाद ही सही । हर लम्हा हर पल तुझे पाता हूँ अपने साथ जैसे थामे हुए हाथ मेरा मुझसे कहे, मैं यही हूँ  तुम...