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Showing posts from July, 2019

आश_Hope

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बहुरेंगे सब गम के बादल, खुशी की बारिश आएगी बरसों रहा जो मन उदास, उसमें चहचहाहट छाएगी । करवटों में गुज़री कितनी रातें , दिन कितने सूनसान  हुए आंखों में बेसब्री लेकर ज़िंदा जैसे लाश हुए । Hope  चलते फिरते राहों में बस, उपायों का ही मंथन होता तन ही बस जो चलता फिरता, मन तो जैसे शून्य हुआ । फिर भी हरदम लगा रहा वो, मरहम की खोज में थोड़ी खीझ ,बहुत विश्वास उस 'अदृश्य विरासत' में, उस 'अदृश्य विरासत' में । क्योंकि,,, बहुरेंगे सब गम के बादल, खुशी की बारिश आएगी बरसों रहा जो मन उदास, उसमें चहचहाहट छाएगी, उसमें चहचहाहट छाएगी ।।                                                                                                    आलोक ,,,,

तन्हाई भी कुछ कहती है,,

सुनो,तन्हाई भी कुछ कहती है, जो, लोग नहीं कहते वो सब कहती है, सुनाती है सबकुछ जो कहना चाहते हो, कभी सहारा कविता , तो कभी ग़ज़ल कहती है । न किसी की तलाश , न किसी से आस बस ख़ामोश होकर, ये तन्हाई सब कुछ कहती है न इल्तज़ा, न शिकायत बस दिल के एहसास, अपने आप से कहती है, सुनो, तन्हाई भी बहुत कुछ कहती है । https://gulaabrani.com/2019/06/october.html?m=1 चुपचाप कह लेती है, जी भर के झगड़ लेती है औऱ हिलाकर तुमको, कई सवालात करती है क्या थे, क्या हो गए हो? खुद के वजूद का भान कराती है गुहार लगाती है खुद की आज़ादी की सुनो, तन्हाई एक वक्त के बाद, खुद की रिहाई चाहती है ।                                                           .....आलोक