आश_Hope
बहुरेंगे सब गम के बादल, खुशी की बारिश आएगी बरसों रहा जो मन उदास, उसमें चहचहाहट छाएगी । करवटों में गुज़री कितनी रातें , दिन कितने सूनसान हुए आंखों में बेसब्री लेकर ज़िंदा जैसे लाश हुए । Hope चलते फिरते राहों में बस, उपायों का ही मंथन होता तन ही बस जो चलता फिरता, मन तो जैसे शून्य हुआ । फिर भी हरदम लगा रहा वो, मरहम की खोज में थोड़ी खीझ ,बहुत विश्वास उस 'अदृश्य विरासत' में, उस 'अदृश्य विरासत' में । क्योंकि,,, बहुरेंगे सब गम के बादल, खुशी की बारिश आएगी बरसों रहा जो मन उदास, उसमें चहचहाहट छाएगी, उसमें चहचहाहट छाएगी ।। आलोक ,,,,