फ़ुरसत_Part2
1. क्या हुआ सब सोये क्यों है अपने ख़यालों में खोए क्यों हैं ज़िन्दगी की खींचातानी में, शायद सब फसें हैं मुनासिब है,,, पर फिर भी, क्या हुआ सब सोये क्यों हैं । 2. अच्छाइयाँ ,कुछ अच्छाइयों की कब्र में दफन हो गईं ख़ामोशियाँ, कुछ खामोशियों की रेत में फिसल गईं साल दर साल लम्हात निकलते रहे, और परछाइयाँ, कुछ परछाइयों में जब्त हो गईं। 3. कि उन वीरान गलियों में, अब कोई रुख़ नहीं करता कहते हैं,, पहले मोहब्बत बसती थी यहाँ,, अब महज मुज़समे ही रह गए । रूह तो कब की जा चुकी ये खाली खोखले हैं,, बेसबब आवाज़ के और कुछ नहीं करता, कि उन वीरान गलियों में, अब कोई रुख़ नहीं करता ।। आलोक.....