सावन

I wrote these lines years ago.Recently, I was going through my poetry collection and found it.
And fortunately, it is the holy month of saavn. 
So I post it now. Many of you will say, what a timing or what a coincidence and I say yes, it is..

सावन की पहली बारिश में,
मैं भीगा , मेरा तन भीगा
मेरा मन भीगा , जीवन भीगा ।

टप टप गिरती बूंदों से,
घर गूँजा, आँगन गूँजा
मिलकर मधुर ध्वनि से खग की
डाली चहकी, कलियाँ चहकी
और चहकी बागों की गालियाँ ।

छल छल बहते वर्षा जल से,
पोखर छलके, नदियाँ छलकी
छलके सारे ताल-सरोवर ।

सावन,poem,meluha,shiva,कविता
सावन 


सावन की पहली बारिश में,
यादें भीगी, बातें भीगी
मंशा भीगी, तृष्णा भीगी
प्यासी सूखी धरती भीगी ।

नाच रहा मन छप छप करता
जैसे नाचे बाग मयूरा
बोल रहा मन ची-ची करता
जैसे गाये डाल पपीहा ।

सावन की पहली बारिश में,
मैं भीगा , मेरा तन भीगा
मेरा मन भीगा , जीवन भीगा ।

                                               आलोक ,,,,,


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