चाह
जीवन चाहे हो सूरजमुखी जैसा, या हो रातरानी समान , दोनों में अपने लम्हे जीने का है , गुण अपार है संज्ञान उन्हें बखूबी , वो लम्हा बस एक पहर समान अगले पल होगा संकट महान , जब न होगी लालिमा, न पहर रजनी समान जीते हैं, इंतज़ार करते हैं, शिद्द्त से चाहे हो वो लालिमा, या पहर रजनी समान । चाह आलोक...