चाह
जीवन चाहे हो सूरजमुखी जैसा,
या हो रातरानी समान ,
दोनों में अपने लम्हे जीने का है , गुण अपार
है संज्ञान उन्हें बखूबी ,
वो लम्हा बस एक पहर समान
अगले पल होगा संकट महान ,
जब न होगी लालिमा, न पहर रजनी समान
जीते हैं, इंतज़ार करते हैं, शिद्द्त से
चाहे हो वो लालिमा,
या पहर रजनी समान ।
चाह |
आलोक...
Thoughtful.
ReplyDeleteHan bilkul..
DeleteDeep👌👌❤
ReplyDeleteThank you so much 😊🙏
DeleteSo true.. ye vakt bhi gujar jaega ..
ReplyDeleteSo soulful 🤌
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