तारीख़

जीता जागता एक दिन फ़नाह हो जाता है ,

सब मोह छोड़ सुपुर्द -ए -ख़ाक हो जाता है 

और फिर रह जाती है तो,,,, 

बस याद , तारीख़........

dawn-hope-will


आलोक....


Comments

  1. बख्शीश मत दे मुझे इन चंद मुलाकातो की,
    गर तरस है मुझ पर तो हर लम्हा पास में रख। 🖤

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

Sleepless_nights

फ़ुरसत_Part7

Maturity