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Showing posts from 2023

फ़ुरसत_Part7

1. तूने तो कब का, रिहा कर दिया अपने तसव्वुर से,, ये तो मैं हूँ, जो अब तक तेरे अक्स को ओढ़े हुए हूँ।। 2. कैसे कहूँ, शिकायत कितनी थी  बातें जो दरमियाँ थी, उनकी नज़ाकत कितनी थी।  बहुत कुछ सुना, और  सहा हमने  कैसे कहूँ, छटपटाहट कितनी थी।। 3. उम्मीदों का खेल, आखिर बंद हो गया वो ग़मज़दा माहौल कम हो गया न आश रही की अब कुछ हासिल हो जाए, वो वादों का खेल, आखिर बंद हो गया।।  ......आलोक

Sleepless_nights

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 ख़ामोश रातों में ,  वो अजीब सी धुन होती मेरे भाव चिल्लाते , और कायनात सुन्न होती।  पहर दर पहर यूँ ही फिसल जाते  जब द्वंद की आगोश में, मन और ये आँखें होती । दोनों का लड़ना जैसे जरूरी सा होता, एक को सोने की चाह, तो दूजे को बस घूमना होता बाद बन एक दूसरे के साथी, मीलों नापना होता। मन की गाड़ी में आँखों की सवारी होती दूरियों और कल्पनाओं से परे , उनकी जोड़ीदारी होती । बस इसी जुगलबंदी कि, सारी ये कहानी होती  घूमकर, थककर सोने में  रात से कब ,, सुबह होती  रात से कब ,, सुबह होती ।। .....आलोक 

Maturity

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भागती ज़िंदगी में कुछ पल,, ठहराव ज़रूर आता है  जब दो पंक्तियों के बीच में भी पढ़ सके, उम्र के रस्ते एक पड़ाव ज़रुर आता है ।।  ....आलोक 

फ़ुरसत_Part6

1. कोई मजबूरी का फायदा उठाता,  कोई बनता है, इस संसार मे बेबसी  का कारोबार,  ऐसे ही चलता है । 2. काश ये सफर थोड़ा और लम्बा होता निगाहों का ये खेल थोड़ा और चलता  पर अफसोस मंजिल मेरी पहले थी वरना उस दीदार ए रौब का,,,  सिलसिला थोड़ा और चलता । 3. एक दौर तलक मैं सुनता रहा, एक दौर तलक बस सोचता रहा,  यूँ इतने दौर कब गुज़र गए, बस,,,,  वही गुज़रे दौर एक एक कर लिखता रहा । ....आलोक