फ़ुरसत_Part6
1. कोई मजबूरी का फायदा उठाता, कोई बनता है, इस संसार मे बेबसी का कारोबार, ऐसे ही चलता है । 2. काश ये सफर थोड़ा और लम्बा होता निगाहों का ये खेल थोड़ा और चलता पर अफसोस मंजिल मेरी पहले थी वरना उस दीदार ए रौब का,,, सिलसिला थोड़ा और चलता । 3. एक दौर तलक मैं सुनता रहा, एक दौर तलक बस सोचता रहा, यूँ इतने दौर कब गुज़र गए, बस,,,, वही गुज़रे दौर एक एक कर लिखता रहा । ....आलोक