वेद_the Conspirator
HAHA,, well the most awaited poem of the century is now exclusively available here😆😆. There was a scenario back in the college related to my friend. He told me a real life incident that was quite messed up. He told me that some one had given him a nickname called the_conspirator.
That incident was a bit shocking but farcical too for him.Though he had no idea how to react on that remark because he never imagined such thing. Well he told me the story with mixed expressions of surprise and ridicule on his face. As being his friend and writer I created this master piece😉 in 2014 but told him that I would release this poem on some day but not today. And finally today is that great, grand day.
So here is that master piece........
बहती हवाओं से एक संदेशा आया है,
मेरे किये गए कारनामों का लेखा आया है ,
न जाने कब मैं , किसके लिए , क्या करता हूँ
जो दूर फलक से एक नया नाम आया है ।
वो वो बोले मेरे अक्स भर से,
जहाँ में दशहत फ़ैल गयी
मेरी मौजूदगी से खुशियाँ रंज में बदल गयी
मेरी ख़ामोश ज़ुबान ,,
वाक़ई न जाने क्या क्या कह गयी
जिसका ज़िक्र भी न किया ज़हन में
वो सब बातें यहाँ कितनी आम हो गयी ।
https://gulaabrani.com/2019/02/the-saga-of-sacrifice.html
That incident was a bit shocking but farcical too for him.Though he had no idea how to react on that remark because he never imagined such thing. Well he told me the story with mixed expressions of surprise and ridicule on his face. As being his friend and writer I created this master piece😉 in 2014 but told him that I would release this poem on some day but not today. And finally today is that great, grand day.
So here is that master piece........
बहती हवाओं से एक संदेशा आया है,
मेरे किये गए कारनामों का लेखा आया है ,
न जाने कब मैं , किसके लिए , क्या करता हूँ
जो दूर फलक से एक नया नाम आया है ।
वो वो बोले मेरे अक्स भर से,
जहाँ में दशहत फ़ैल गयी
मेरी मौजूदगी से खुशियाँ रंज में बदल गयी
मेरी ख़ामोश ज़ुबान ,,
वाक़ई न जाने क्या क्या कह गयी
जिसका ज़िक्र भी न किया ज़हन में
वो सब बातें यहाँ कितनी आम हो गयी ।
the-conspirator |
मैं बड़ी सलीके से,
अपनी एक दुनिया में जी रहा था
कुछ अलग हो रहा था जीवन में,
बस उसको कौतूहल से देख रहा रहा था
बस अभी समझ ही तो रहा था, मैं "खुद" को
की सहसा एक भूचाल आ गया,
क्या वास्तव में मैं इन सब का रचयिता बन गया?
या अनायास ही दुनिया मुझे ये नाम दे गयी ।
खैर, क्या सच ,और क्या झूठ
इसका अब मैं मोहताज नहीं ,
कोई रोये या हँसे मेरे होने से, मैं इतना खास नहीं
उन पुराने ज़िक्रों को याद कर,
बस यही सोचता हूँ ,,
कि क्या मैं एक षड्यंत्रकारी हूँ,,
बल्कि "मैं" नहीं ।।
......आलोक
कुछ अलग हो रहा था जीवन में,
बस उसको कौतूहल से देख रहा रहा था
बस अभी समझ ही तो रहा था, मैं "खुद" को
की सहसा एक भूचाल आ गया,
क्या वास्तव में मैं इन सब का रचयिता बन गया?
या अनायास ही दुनिया मुझे ये नाम दे गयी ।
खैर, क्या सच ,और क्या झूठ
इसका अब मैं मोहताज नहीं ,
कोई रोये या हँसे मेरे होने से, मैं इतना खास नहीं
उन पुराने ज़िक्रों को याद कर,
बस यही सोचता हूँ ,,
कि क्या मैं एक षड्यंत्रकारी हूँ,,
बल्कि "मैं" नहीं ।।
......आलोक
😀😁 no comment 😁
ReplyDeleteAre baki kam to kr hi chuke ho 😉🤣 ab kya hi comment kroge 😂😂
DeleteBhatoora - The conspirator 😂😂
ReplyDeleteHahaha indeed malik 😂😂
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