हाँ, एक कुआँ हूँ मैं
हाँ, एक कुआँ हूँ मैं
भावनाओं के नीर से लबालब
मर्म की मिट्टी से निर्मित
सहजता की जगत लिए
सींचने में तत्पर, एक कुआँ हूँ मैं ।
मैं भरता रहा, निकलता रहा
रही जिसकी जरूरत जैसे,
वैसे ही मेरा नीर बहता रहा
समय दर समय गुजरता रहा
मेरी उपयोगिताओं का सफर बढ़ता ही गया।
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Well of Feelings |
सहसा समय बदला
प्रकृति ने अपना दाव खेला,
मुझमे से बस निकलता रहा
मेरा स्तर धीरे धीरे घटता जा रहा है
अरसा गुज़र गया इंतज़ार में,
न बारिश बची,न झीलें
फिर से उफनाने का स्वप्न
भी क्षण क्षण मरता रहा,
हाँ, एक कुआँ हूँ मैं ।
आश में हूँ शायद बरस जाए
मेरे खाली होते अस्तित्व में
एक बार फिर बहार आ जाये,
ललचायी आँखों से ऊपर देखता हूँ,
हाँ, एक कुआँ हूँ मैं ।।
.....आलोक
Wow..🌹
ReplyDeleteThanx dolly 🙏
DeleteOhhh bhai
Deleteउम्दा भाई 🙏
ReplyDeleteशुक्रिया भाई 🙏😀
Deletebahut badhiya Bhai...
ReplyDeleteThank you bhqi 😀🙏
DeleteHan Mai bhi ek Kuan Hun..😀
ReplyDeleteHan wo to mai bahut achchhe se janta hu 😉😀😀
ReplyDeletebro .you are truly amazing !
ReplyDeleteHaha thanx bhai 🤘
ReplyDeleteAwesome
ReplyDeleteThank you 🙏
DeleteAchha hai....
ReplyDeleteThanx 🙏
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